लद्दाख की भूमि अपने अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य, विशाल पहाड़ियों और शांत वातावरण के लिए जानी जाती है, परंतु जब आप पैंगोंग झील के किनारे खड़े होते हैं, तो लगता है मानो सृष्टि ने स्वयं कुछ विशेष रचने के लिए यहाँ रंग और रूप की सबसे सुंदर कल्पनाएं उकेरी हैं। हमारी यह अविस्मरणीय यात्रा नुब्रा घाटी के हुन्दर से शुरू हुई।
सुबह की ठंडी हवा के साथ हम पैंगोंग झील की ओर रवाना हुए। लद्दाख की सड़कों पर यात्रा अपने आप में रोमांचकारी होती है, लेकिन इस बार का मार्ग और भी खास था। हमारी यात्रा का अधिकांश हिस्सा श्योक नदी के साथ-साथ गुजरता रहा। यह नदी अपने बहाव और शांत सौंदर्य के लिए जानी जाती है, और इसका साथ यात्रा में एक मधुर संगीत जैसा प्रतीत हुआ।
करीब 6-7 घंटे की यात्रा के बाद, जब हम शाम के लगभग पाँच बजे पैंगोंग झील पहुँचे, तो वहाँ का दृश्य देखकर हमारी सारी थकान क्षण भर में दूर हो गई। दूर-दूर तक फैली यह झील अपने नीले रंग के विविध शेड्स में चमक रही थी। ऐसा लगा जैसे आकाश के कई रंग ज़मीन पर उतर आए हों। तेज बर्फीली हवा हमारे स्वागत में मानो संगीत बजा रही थी। हम स्तब्ध थे, नज़ारे को निहारते रह गए।
झील के किनारे खड़े होकर यह अनुभव हुआ कि भले ही हम स्थिर थे, परंतु हवा की गति ने पानी को लगातार चंचल बनाए रखा। झील की लहरें मानो हमारे मन की भावनाओं को छू रही थीं। यह दृश्य इतना प्रभावशाली था कि शब्द बौने लगने लगे। वहाँ खड़े रहकर हम केवल प्रकृति के सामने नतमस्तक हो सकते थे।
लद्दाख की ऊँचाई पर ऑक्सीजन की कमी का अहसास भी हो रहा था। साँस थोड़ी कठिनाई से ली जा रही थी, लेकिन इस कठिनाई में भी एक विशेष सुख था—यह महसूस करना कि हम जीवन के सबसे विशुद्ध रूप को छू रहे हैं। यहाँ का हर दृश्य, हर क्षण मानो आत्मा को गहराई तक छू जाता है।
सबसे आश्चर्यजनक बात यह थी कि समुद्र तल से इतनी ऊँचाई पर स्थित इस झील का पानी खारा है। यह रहस्य अब तक वैज्ञानिकों के लिए भी पूरी तरह स्पष्ट नहीं हो पाया है। परंतु हमें यह रहस्य और भी आकर्षक प्रतीत हुआ—यह झील जितनी सुंदर है, उतनी ही रहस्यमयी भी।
पैंगोंग झील की सुंदरता का अनुभव केवल उसके तट से करना पर्याप्त नहीं था, इसलिए हमने झील के किनारे-किनारे लगभग 20 किलोमीटर दूर स्थित मेराक गाँव तक की यात्रा की। इस मार्ग में झील का सौंदर्य और भी निखर कर सामने आया। रंग बदलते पानी, बदलते आकाश, और हर मोड़ पर बदलते पहाड़ी दृश्य—प्रकृति मानो हर क्षण कुछ नया रच रही थी।
मेराक गाँव एक छोटा-सा, शांत स्थान है जहाँ हमने एक स्थानीय होमस्टे में रुकने का निर्णय लिया। वहाँ की मेज़बानी में अपनापन था। होमस्टे के पीछे बर्फ से ढके पहाड़ थे और सामने झील की नीली चादर। यह दृश्य किसी पोस्टकार्ड जैसा प्रतीत हो रहा था। रात में ठंड अपने चरम पर थी, तापमान शून्य से नीचे चला गया था, परंतु उस अनुभव में भी एक अलौकिक सुख था।
रात के समय हम झील के किनारे कुछ देर चुपचाप बैठे। झील के ऊपर फैला तारा-जड़ा आकाश, पहाड़ों की रहस्यमयी छाया, और झील की हल्की लहरें—उस क्षण ने हमारी आत्मा को शांत कर दिया। यह वह क्षण था जिसे हम जीवनभर स्मरण रखेंगे।
यह यात्रा केवल एक पर्यटन अनुभव नहीं थी, यह एक आत्मिक यात्रा थी। प्रकृति के इतने निकट रहकर हमने जीवन की सादगी, शांति और सुंदरता को महसूस किया। पैंगोंग झील, तुम्हारा धन्यवाद! तुमने हमारे मन में जो छाप छोड़ी है, वह शब्दों से परे है।
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